
40 poems in 40 days सौंधी सी, एक इत्र की दुकान, शहरों में भी है, तुम कभी पूछना, ठहरे हुए उस यात्री से, जो बेख़ौफ़ सोए रहता है, डिम लाइट के खंभों के नीचे, एक पारदर्शिता, शहरों
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