
40 poems in 40 days challenge
कायनात के ढेर में,
एक झुंड,
पंछियों का,
शहरों में भी था,
पर,
जब पूतने लगी दीवारें शहरों की,
वो पलायन कर गए,
गावों में,
अब मिट्टी धीप रही,
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कायनात के ढेर में,
एक झुंड,
पंछियों का,
शहरों में भी था,
पर,
जब पूतने लगी दीवारें शहरों की,
वो पलायन कर गए,
गावों में,
अब मिट्टी धीप रही,