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40 poems in 40 days challenge


मेरे यादों की,

एक खुली अलमारी,

जिसमें तह हो बदन ढकने वाले,

मुट्ठी भर कपड़े,

जौ के थोड़े बीज,

एक खारे मिट्टी का घड़ा,

और,

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