
इश्क में ,
वो पागला,
गुलाब देने चला,
अपनी महबूबा को
धीरज से हिम्मत जुटा,
गुलाब सजाए,
जमाने से,
अपनी मोहब्बत छुपाये,
जितनी उसकी अंजुरी मे आई,
उसने अपने हाथों को,
खुश्बू से भर लिया,
मंजिल ही नहीं जिस राह में,
उस राह चल दिया,
कुचल गई हाथ
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