कागज़ पर लिखी
कुछ बातें
कभी लिफ़ाफे में बंद न हुई
दिल की गहराइयों से निकली थी
पर
आवाज़ ज़ुबां तक न आ सकी
कीर्तास हर एक शब्द में थी
एक पुकार
हर मिसरे में छुपा एक दर्द
उस चिट्ठी में थी
बातों से चुन कर छुपाई
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कागज़ पर लिखी
कुछ बातें
कभी लिफ़ाफे में बंद न हुई
दिल की गहराइयों से निकली थी
पर
आवाज़ ज़ुबां तक न आ सकी
कीर्तास हर एक शब्द में थी
एक पुकार
हर मिसरे में छुपा एक दर्द
उस चिट्ठी में थी
बातों से चुन कर छुपाई