सुना है तुम्हारे शहर में बरसात हुई है
ना मिट्टी की वो ख़ुशबू रही
ना शहर की वो सड़कें वही
अब तुम कहीं और हम कहीं।
लेकिन बारिश की इस फुहार ने
अन्दर के कई तार झनझना दिए
और अपनी वो छोटी सी छतरी याद आ गयी
जिसमें हम दोनों उस दिन
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