
फिर गिर गया हूँ मैं , फिर मुझको अपना हाथ दो
लब फिर ख़ामोश हैं मेरे, इनको तुम ही अपनी कोई बात दो।
मेरे सारे गुनाहो की, जवाबदेही तुमपर कबतक
तुम्हे मेरी खुद्दारी का वास्ता, मुझको अब तो कोई इल्ज़ामात दो।
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फिर गिर गया हूँ मैं , फिर मुझको अपना हाथ दो
लब फिर ख़ामोश हैं मेरे, इनको तुम ही अपनी कोई बात दो।
मेरे सारे गुनाहो की, जवाबदेही तुमपर कबतक
तुम्हे मेरी खुद्दारी का वास्ता, मुझको अब तो कोई इल्ज़ामात दो।
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