
ओ मालिक तू मान जरा,
कहना मेरी स्वीकार कर ।
मत रूलाओ मेरे दिल को
जरा पहले तु विचार कर ।
तु पावेगा क्या कुछ,
मेरे हृदय को घाव कर ?
तु मत दे मुझे दुःख ऐसा,
जरा मुझपर तु उपकार कर ।
अरे सोच जरा तुम्ही कभी,
अपनो से विछर जाएगा।
तब उनके बीना तेरे हृदय
कितना सुकून से रह पाएगा ?
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