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पेड़ की वाणी

पेड़ की वाणी


मानव के भलाई में,

उसके जीवन के उपजाऊ में-

आती मै काम हमेशा ।

बचपन से बुजुर्ग के बाद भी,

होती मेरी आवश्यकता ।


मै न होता तो मानव न होता,

क्योंकि हमसे ही प्रापत करता-

जीवन का अनमोल उपहार,

ऐ जग का सारा इंसान ।


गर्मी की उस करी धुप में तप कर

जब मानव थक जाता है,

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