कुछ वक़्त's image

कुछ वक़्त बिताना चाहती हूँ मैं तेरी यादों के साथ

आज फिर अपनी तन्हाई को बेइंतेहा करना चाहती हूँ


तेरी कुर्बतों में अक्सर मुस्कुराया करती थी इसलिए

आज इस हिज्र को अपने आँसुओं से डुबोना चाहती हूँ


नहीं आरजू करूँ कि कोई मेरी राहों में फूल बिछाये

मैं खुद

Tag: poetry और1 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!