
खामोश मरघट सी रहने लगीं हैं आंखें
चंबल सी विरान लगने लगी है जिंदगी
अब तो आ जाओ..
चुभने लगीं हैं अपनी ही बातें
जिंदगी पहाड़ सी बन खड़ी है
एक नाम टकराकर
कानों में गूंज रही है
अब तो आ जाओ
आईने में मैं
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खामोश मरघट सी रहने लगीं हैं आंखें
चंबल सी विरान लगने लगी है जिंदगी
अब तो आ जाओ..
चुभने लगीं हैं अपनी ही बातें
जिंदगी पहाड़ सी बन खड़ी है
एक नाम टकराकर
कानों में गूंज रही है
अब तो आ जाओ
आईने में मैं