अपनों का दामन हाथ से फिसल रहा है,
तन्हाइयों का अंधेरा उसे निगल रहा है...
दुनिया की ठोकरें खाकर वो लुढ़क रहा है,
सब से नजरें चुराकर अकेले तड़प रहा है...
धोखे और बेवफाई की आग में जल रहा है,
दिल में उठते जज्बातों को वो कुचल रहा है...
दूसरों की खातिर सरे-बाजार वो बिक रहा है,
घायल मन से खून के आँसू अब रिस रहा है...
जिन्दगी की भा
Read More! Earn More! Learn More!