![स्वार्थ और बेईमानी's image](/images/post_og.png)
दोस्ती का दम भरते हैं वफादारी की कसमें खाकर,
पीठ पीछे गैरों के सामने अपनों के राज खोलते हैं....
जुए और शराब में फूंक देते हैं रोज लाखों-करोड़ों,
गरीब की मजदूरी देने के नाम पर जेबें टटोलते हैं...
मजबूरी क
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दोस्ती का दम भरते हैं वफादारी की कसमें खाकर,
पीठ पीछे गैरों के सामने अपनों के राज खोलते हैं....
जुए और शराब में फूंक देते हैं रोज लाखों-करोड़ों,
गरीब की मजदूरी देने के नाम पर जेबें टटोलते हैं...
मजबूरी क