मैं जागता हुआ स्वप्न हूँ या सोये हुए जज्बात,
मैं सुन नहीं पाया तेरी खामोशी और कहता रहा बस अपनी बात !
मैं ठहरा हुआ वक्त हूँ या बदलते हुए हालात,
मैं देखता रहा दूसरों की हैसियत और भूल गया अपनी औकात !
मैं एक ल
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मैं सुन नहीं पाया तेरी खामोशी और कहता रहा बस अपनी बात !
मैं ठहरा हुआ वक्त हूँ या बदलते हुए हालात,
मैं देखता रहा दूसरों की हैसियत और भूल गया अपनी औकात !
मैं एक ल