मैं पहली बारिश की एक मीठी बूंद हूँ,
वो अमृत जल से छलकती गागर हैं,
मैं हिमालय से बहती एक शांत नदी हूँ,
वो उफनते विशाल हिंद महासागर हैं,
मैं गरीब की
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मैं पहली बारिश की एक मीठी बूंद हूँ,
वो अमृत जल से छलकती गागर हैं,
मैं हिमालय से बहती एक शांत नदी हूँ,
वो उफनते विशाल हिंद महासागर हैं,
मैं गरीब की