प्रेम-एक कल्पना।'s image
398K

प्रेम-एक कल्पना।

यूं ही मेरे ख़्यालों में तुम,

बिन कहे चली आती हो,

इतना तो बताओ ऐ काल्पनिक साथी,

तुम क्या मेरी कहलाती हो,


तुम शामिल मेरे ख़्यालों मे हो,

एक सौगात है ये मेरे लिए,

समझ से परे ये रिश्ता है कैसा,

ना मांग भरी,ना फेरे लिए,


मेरे जीवन का तुम एक ऐसा,

ख़ुशनुमा एहसास हो,

वास्तविक तुम्हारा कोई

Read More! Earn More! Learn More!