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एक प्रेम सूफियाना सा।

ना दर्जा देना प्रेमिका का,

ना करना आपसे विवाह है,


आपके प्रति चंद अल्फ़ाज़ मेरे,

इस अनकहे प्रेम की राह है,


ना बंधन है कोई नाम का,

ना जग की कोई रीत निभाई,


साक्षी है ये सृष्टि सारी,

कि आप से मैंने प्रीत लगाई,


ना पाना कोई जवाब है,

ना मन में है कोई सवाल,


टूटते-जुड़ते संपर्क के बीच,

रखिएगा आप अपना ख़्याल,


क्या जाने ये उलझन कैसी,

जाने ये कैसा रश्क़ है,


इज्ज़त तो बाइज्ज़त की है म

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