![Amar ki Kavita's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40amardeep1987/None/20221105_102502_04-01-2023_14-30-56-PM.jpg)
जल्दी आना..
सुनों हवाओं मिलें जो अमर,
उनको दिल का पता बताना।
ज़ख्म हमारे दिल पर जितने,
पांवों के छाले दिखलाना।
बिखरे केश होंठ ये सूखे,
राह जोहतीं आँखें मेरी।
मेह बरसते जैसे नैना,
और टूटती साँसें मेरी।
प्यासे प्राण पूछते मेरे,
ओ परदेशी कब हो आना।
नमी सोख
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