तुम मेरे दरमियान ऐसे हो,
कोई खंजर के म्यान जैसे हो।
है छाई वो इस क़दर मुझपर,
धरा पर आसमान जैसे हो।
रोज़ लिखता हूँ,याद करता हूँ,
कि मेरा इम्तिहान जैसे हो।
सुबह की आरती हो,पूजा हो,
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तुम मेरे दरमियान ऐसे हो,
कोई खंजर के म्यान जैसे हो।
है छाई वो इस क़दर मुझपर,
धरा पर आसमान जैसे हो।
रोज़ लिखता हूँ,याद करता हूँ,
कि मेरा इम्तिहान जैसे हो।
सुबह की आरती हो,पूजा हो,