
ये खिड़की,
किसने खोल रखी है
किस हद, किस सबा
के इंतज़ार में,
ये दराज़ें,
इनसे आती हवा
सीने में बहुत भीतर,
किसी चट्टान से टकराती है
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ये खिड़की,
किसने खोल रखी है
किस हद, किस सबा
के इंतज़ार में,
ये दराज़ें,
इनसे आती हवा
सीने में बहुत भीतर,
किसी चट्टान से टकराती है