![ये क्या बात है?'s image](/images/post_og.png)
इश्क़ के गुनहगार तुम भी थे और हम भी
सजा बस एक ने पाई ये कैसा इंसाफ है?
निकले थे साथ में घर से तुम भी और हम भी
घर बस तुमने बसाया ये कैसा मज़ाक है?
लौट कर घर पहुंचे थे तुम भी और हम भी
जगह बस एक ने पाई ये कैसा न्याय है?
कूदे थे साथ में छतसे तुम भी और हम भी
मौत बस एक को आई ये कैसा हिसाब है?
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