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पल दो पल का साथ

बोल जो हमने लिखे थे गीत तेरे हो गए

साथी मेरे जो भी थे सब मीत तेरे हो गए


वो हया थी या भरम था हम थे जिस पर मर गए

आज भी हम सोचते है क्या ख़ता हम कर गए


चाह थी हंसी की हमको आंसुओ से भर गए

पास थे मंज़िल के अपने गुमशूदा तुम कर गए


एक तेरी खातिर हमतो इस जहाँ से लड़ गए

रस्मों रिवाज़ तोरे हद से हम गुज़र गए


क़तार लम्बी थी मगर उसमे अपना भी नाम था

दीवानो में सबसे ऊपर अपना ही मुकाम था


हम थे बेसब्र हमको इश्क़ का गुमान था

चांदी के सिक्कों पे चलना तेरा भी अरमान था


साथ न छोड़ेंगे तेरा खुदसे वादा कर गए

होश में थे तुम मगर हालात पर मुकर गए


चैन, करार, सुकून सब साथ अपने ले गए

आंहे भरते रह गए हम किसी और के तुम हो गए


तुम थे बेखबर हमसे तुमको न एहसास था

तुम गए तो साथ अपने म

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