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मैं रोना चाहता हूँ

मैं रोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ

अपने आँखों को आँसुओं से

खूब भींगोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


पता नहीं कब क्यूँ और कैसे

आँसू मेरे सुख गए

दर्द मिला है इतना के अब

दर्द के नाले सुख गए

बस रोकर उनको फिर से मैं

गीला करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


याद पड़ा जब छोटा था

बात-बात पर रोता था

थक जाता जब रो-रो कर

माँ के गोद में सोता था

फिर एक बार मैं

उस गोद में सोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


किंतु अब मुझको माँ का दर्द भी

जरा भी विचलित नहीं करता

चाहे ज़ोर लगा लूँ जितना

मन भारी नहीं होता

चोट लगाकर खुद को फिर

मैं मन भारी करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


मैंने देखा हैं माँ को रोते

बड़े भाई की अर्थी पर

बाप वहीं पर बिलख रहा था

मझले भाई की छाती पर

लेकिन मेरा दिल ना पिघला

मैं उसको पिघलाना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


लगा मुझे मैं रो दूंगा

पर आँसू ना आए मुझे

बहनो का विलाप भी देखो

मुरझा नहीं पाए मुझे

उन बहनो का दु:ख

मिलकर बाटना चाहता हू

बस एक बार रोना चाहता हूँ


जब मेरा दिल टूटा था

प्यार मेरा जब छूटा था

तब भी मेरी आँख भरी ना

एक बूंद भी ना फूटा था

मैं उस दर्द को खुद में

महसूस करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


जब यारों ने छोड़ दिया

अपनी राहों को मोड़

Tag: कविता और16 अन्य
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