कुछ अनकही सी's image
104K

कुछ अनकही सी

अंजाना सफर तनहाई का डेरा

उदासी का दिल मेंं था उसके बसेरा

साँवली सी आंखो पर पालकों का घेरा

भुला नहीं मैं वो चमकता सा चेहरा


आंखे भरी थी और लब सील चुके थे

दगा उसके सीने मे घर कर चुके थे

था कहना बहूत कुछ उसको भी लेकिन

धोख़े के डर से वो लफ्ज जम चुके थे


हाले दिल चेहरे पर दिखता था यू हीं

के ग़म को छुपाने की कोशि श नहीं थी

दिल चाहता तो था संग उसके चलना

मगर साथ चलने की कोशि शनहीं थी


कहा कुछ नहीं पर समझा दिया सब

ना बाकी रहा था कुछ भी कहीं अब

बेबस उस हंसी की होठों पर रख के

वो फिरती रहे

Read More! Earn More! Learn More!