कितना कठिन था बचपन में गिनती पूरी रट जाना
अंकों के पहाड़ो को अटके बिन पूराकह पाना
जोड, घटाव, गुणा भाग के भँवर में जैसे बह जाना
किसी गहरे सागर के चक्रवात में फँस कर रह जाना
बंद कोष्ठकों के अंदर खुदको जकड़ासा पाना
चिन्हों और संकेतों के भूल-भुलैयामें खो जाना
वेग, दूरी, समय, आकार, जाने कितने आयाम रहे
रावण के दस सिर के जैसे इसके दस विभाग रहे
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