दीवारें हैं छत हैं
संगमरमर का फर्श भी
फिर भी ये मकान अपना घर नहीं लगता
चुकाता हूँ
मैं इसका दाम, हर तारीख पहली को
लेकिन फिर भी यहाँ मुझको,
वो अपनापन नहीं मिलता
दीवारें साफ रखता हूँ,
धीमी आवाज रखता हूँ
बच्चों के खिलौने से ज़रा नाराज रहता हूँ
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