जा रे-जा रे कारे कागा, मेरे छत पर आना ना
आना है तो आजा पर, छत पर शोर मचाना ना
तू आएगा छत पर मेरे, कांव-कांव चिल्लाएगा
ना जाने किस अतिथि को, तु मेरे घर बुलाएगा
उल्टी पड़ी पतीली मेरी और चूल्हे में आंच नहीं
थाल सजाऊँ कैसे मैं घर में कोई अनाज नहीं
जा रे-जा रे कारी चींटी, मेरे घर तु आना ना
टूटी मेरी कुटिया में तू, अपना घर तो बसाना ना
तू आएगी साथ में अपने, बैरी बादल लाएगी
छत से पानी टपकेगा फिर, तु चैन से सो ना पाएगी
कच्ची मेरी कुटिया की फिर, गीत जहां मे गायेगी
जो ना जाने हाल को मेरे, उसको भी सुनायेगी
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