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हम तुम तो ऐसे ना थे

वही दिन है वही रातें जैसे वर्षों पहले थे

पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे

अब भी पुरानी तसवीरों में ऐसी है मुस्कान तेरी

जैसे कोई बांध के रख दे नज़रों से जुबान मेरी 


सन्दुक में रखे कपड़े तेरे नए आज भी लगते हैं

तेरी यादों की खुशबू से महके-महके से रहते हैं

हंसी पुरानी गयी कहाँ अब तेरे कपड़े तो ऐसे ना थे

पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे

 

बातें करने का वो लहजा क्यों बदला सा दिखता है

अल्हड़ सी तेरी चाल में अब क्यों कोई अकड़ सा दिखता है

सूरत तेरी पहले जैसी पर भोलापन अब रहा नहीं

सीरत में भी सादापन अब पहले जैसा मिला नहीं

 

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