![दासतां दिल की's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40aman-sinha/None/%E0%A4%AD%E0%A4%B2_%E0%A4%97%E0%A4%AF_16-01-2023_11-56-18-AM.jpeg)
कभी मैं दासतां दिल की, नहीं खुल के बताता हूँ
कई हैं छंद होंठो पर, ना उनको गुनगुनाता हूँ
अभी तो पाया था मैंने, सुकून अपने तरानों से
उसे तुम भी समझ जाओ, चलो मैं आजमाता हूँ
जो लिखता हूँ जो पढ़ता, हूँ वही बस याद रहता है
बस कागज कलम हीं है, जो मेरे पास रहता है
भरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर है
ज़हन जो सोच लेता है,कलम वो छाप देता है
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