भाई's image

सोचा था और न लिखूंगा ग़म के फ़साने कभी

बात निकली तो माँ के आंसू याद आ गए

 

एक दिन तोड़ दूंगा दीवार अपने आँगन की मैं

पकड़ के बाहें बड़े भाई को गले लगा लूँगा

 

ख्वाब में वो घर नज़र आता है मुझे

जिसमे हमने साथ में बचपन गुज़ारा था

 

वहीं बैठी मां पूरियां तल रही थी और

बड़े प्यार से तीनों को ही नाम से पुकारा था

 

होड़ होती थी कभी मिठाइयां चुराने की

एक दूसरे से अपने ख़ज़ाने छुपाने की

 

रात को जाग कर बैठते थे बातें करते थे

साथ एक दूसरे के शरारतें हज़ार करते थे

 

Read More! Earn More! Learn More!