बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा
मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा
समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है
अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा
बस कुछ ................................................
है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब
बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे अब
जो घर ना बैठे हम अब तो काल निगल जाएगा
अपनों के शवों पर हमको तड़पता छोड़ जाएगा
बस कुछ .........................................................
बहूत क़ैद किया हमने बेजुबान साथियों को
पूरा सोख लिया हमने प्रकृति के खज़ानों को
ये वक़्त है जागने का सोये तो निकल जाएगा
फिसलती डोर को जो न पकड़ा तो गिर जाएगा
बस कुछ ..............................................................
आज मानव खुदके ही मकड़जाल मे है उलझा
आग जिसने लगाई थी वही हाथ है आज झुंलसा
आज भी सुधर गए तो विनाश थम जाएगा
गर छुप पाए हम तो हर काम सम्हल जाएगा
बस कुछ .....................