बस बहुत हुआ अब जाने दो, सांस जरा तो आने दो
घुटन भरे इस कमरे मे, जरा धूप तो छंटकर आने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात-बात पर दुत्कार तेरी
शुल के जैसे बोल तेरे, चुन-चुन कर मुझे हटाने दो
खामोशी में है प्यार मेरा, ना मुझपर कुछ उपकार तेरा
मुझको जो गरजू समजा है, उस भरम को अब मिट जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
तूने जो बोला मान लिया, देर लगी पर जान लिया
सदा पास रही पर साथ नहीं, अब झूठे बंधन टूट जाने दो
मेरे अपनों को कोसा है, लफ्ज़ों से दिल को नोंचा है
मेरे जज़्बातों का जो मोल नहीं, तो ये धागा अब टूट जाने दो
बस बहुतहुआ अब जाने दो
तूने सोचा ये खेला है, शादी दो दिन का मेला है
वर्षों में भी मुझे अपना ना सकी, तो घर की ईंटें ढह जाने दो
ना सोचा था ये दिन आएगा, जीवन ये भी दिखलाएगा
आदर मेरे दिल में जो है, उसमे घिन्न नहीं मिल जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
सोचा था साथ निभा लूँगा, कड़वा घुंट है पी लूँगा
तूने शब्दो के चोट से जो घाव दिए सब वापस लो
बहुत सहा न समझा ये, अब तुझको नज़रों से पटका ले
अब पहले जैसा अपनापन ना मिल पाएगा जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
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