
प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया
शीर्ष प्रणाम उन गुरुजनों को, ज्ञान का जिन्होंने आशीष दिया
फिर प्रणाम उन पूर्वजों को, मैं जिनका वंशज बनकर जन्मा
शेष प्रणाम उन मित्रजनों को, जिनसे है मुझको प्रेम घना
मैं न भुला उन बहनो को, राखी जिसने बांधी थी
जिसकी सदा रक्षा करने की, मैंने कसमें खाई थी
छोटे-बड़े सब भाई मे,रे हृदय में सदा हीं बसते है
मुझसे करते प्रेम बहुत वो, पलकों पर मुझको रखते है
पाती मेरी सब तक पहुंचे, सबको स्मरण ये हो जाए
सबसे मेरा है नाता गहरा, कोई ना विस्मित होने पाये
माता से विनती है मेरी, मोह ना टूटे मुझसे तेरी
चाहे जो कुछ भी हो जाये, नैन ना तेरे रोने पाये
तूने ही राह दिखाई थी, मेरे मन मे ज्योत जलायी थी
राष्ट्र प्रेम हीं बड़ा धर्म है, बात तूने हीं समझाई थी
तेरी ही प्रेरणा से मैं, एक सिपाही बन पाया
सबसे पहले मातृ भूमि, है यही प्रतिज्ञा कर पाया
तेरे प्रति जो फर्ज़ है मेरा, दूध का जो भी कर्ज़ है मेरा
इस बार चुका ना पाऊँगा, मैं वापस आ ना पाऊँगा