घनी अंधेरी रात है गर
कल इक सुबह भी आएगी
आंसुओं के बादलों से
फिर रोशनी टकराएगी
चलेंगी हवाएं, चराग भी बुझेंगे
तेरी साजिशों से हम नहीं डरेंगे
मेरी रूह भी अब ये कहेगी
बेहद आसान है तू ऐ जिंदगी
सफर में हों अड़चनें, तो क्या हुआ
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