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चाय से ज्यादा खौलेंगें

अभी लिखा था तुम्हें किताबों में
यादें बुने जा रहे थे ख़्वाबों में
इक तैरती झरोखें में बदन अटक गया मेरा
अन्यथा नाम लिखें जाते मेरे खिताबों में..
कभी कहीं उछलते तरंगें दिखे होंगे
उससे भिगतें मन भी दिखे होंगे
Tag: life और1 अन्य
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