
हों पास हर पल ये जुरूरी; थोड़ी ना होता है
तक़रीब-ए-विसाल-ए-यार ही इश्क़; थोड़ी ना होता है,
आरज़ू-ए-वस्ल ही को मुकम्म
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हों पास हर पल ये जुरूरी; थोड़ी ना होता है
तक़रीब-ए-विसाल-ए-यार ही इश्क़; थोड़ी ना होता है,
आरज़ू-ए-वस्ल ही को मुकम्म