
छल प्रपंचों की इस वेदी पर,
नया विश्वास जगाने आया हूं।
21वीं सदी के नौजवानों में,
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
इतिहास के पन्नों में,
दबा दिया गया जिसका बलिदान।
जिनकी अमर त्याग से आज तक,
अखिल भारत रहा अंजान।
उस अमर हिंद पुत्र को खास बताने आया हूं,
21वीं सदी के नौजवानों में
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
बल पौरुष तुम त्यागी महान,
नौजवानों के तुम नौजवान।
याद रखे जिसके बलिदान,
अखंड यह सारा हिंदुस्तान।
देशद्रोहियों में भी देश प्रेम का,
विश्वास जगाने आया हूं,
21वीं सदी के नौजवानों में,
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
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