
ज़िंदगी से बड़ी जंग हो रही है
खुशी कर्ज से और गम सूत समीत मिल रहे है
दर्द का मेला तो हर रोज़ लगता है
फिर भी मुस्कान चेहरे पर
निरागस हो के खिलती है.
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ये नाता बस तुझ से जुड़ा रहे
तो कोई फिक्र की बात नहीं
आरज़ू तो
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