![उसने आवाज़ दी तो आना पड़ा , दिल को फिर काम पर लगाना पड़ा's image](/images/post_og.png)
उसने आवाज़ दी तो आना पड़ा
दिल को फिर काम पर लगाना पड़ा
वो कहीं देख कर के रो न पड़े
इसलिए मुझको मुस्कुराना पड़ा
उसके छूने से ज़ख़्म भर जाते
ज़ख़्म गहरे थे तो छुपाना पड़ा
वो तो हर-दिल-अज़ीज़ था अब तक
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उसने आवाज़ दी तो आना पड़ा
दिल को फिर काम पर लगाना पड़ा
वो कहीं देख कर के रो न पड़े
इसलिए मुझको मुस्कुराना पड़ा
उसके छूने से ज़ख़्म भर जाते
ज़ख़्म गहरे थे तो छुपाना पड़ा
वो तो हर-दिल-अज़ीज़ था अब तक