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उसने आवाज़ दी तो आना पड़ा , दिल को फिर काम पर लगाना पड़ा

उसने आवाज़ दी तो आना पड़ा

दिल को फिर काम पर लगाना पड़ा


वो कहीं देख कर के रो न पड़े

इसलिए मुझको मुस्कुराना पड़ा


उसके छूने से ज़ख़्म भर जाते

ज़ख़्म गहरे थे तो छुपाना पड़ा


वो तो हर-दिल-अज़ीज़ था अब तक

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