
जितने भी प्रत्यक्ष युद्ध
प्रारम्भ हुए ये सोचकर कि
समाप्त हो जायेंगे वो
कुछ ही दिनों के भीतर
चल रहे हैं वो अब भी निरंतर
युद्ध शुरू करना तो
होता है बस में
पर समाप्त करना
नहीं रह जाता है बस में
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जितने भी प्रत्यक्ष युद्ध
प्रारम्भ हुए ये सोचकर कि
समाप्त हो जायेंगे वो
कुछ ही दिनों के भीतर
चल रहे हैं वो अब भी निरंतर
युद्ध शुरू करना तो
होता है बस में
पर समाप्त करना
नहीं रह जाता है बस में