कैसा ये शोर है ,कैसी ये तन्हाई है
कैसी ये वफा है ,कैसी ये बेवफाई है।
ये क्या खामोशियां हैं ,ये क्या गुफ्तगू है
शुरू भी न हुई कि खत्म होने को आई है
ये कैसी नजदीकियां हैं, ये कैसी दूरियां हैं
ये कैसा बेगानापन है,ये कैसी आशनाई है।
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