
मन में थोड़ी धूप,थोड़ी छांव लेके चलते रहे
हृदय में जलते हुए कितने अलाव लेके चलते रहे
भटकते रहे इस डगर-उस डगर,इस शहर-उस शहर
मगर सीने में हमेशा अपना गांव लेके चलते रहे
राहों की मुश्किलों से थके भी और हुए घायल भी
मगर रुके नहीं,हम अपने थके हुए,घायल पांव लेके चलते रहे
संवारते,समेटते रहे औरों को जितना हो सका हमसे हृदय में छुपाक
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