ऐसा लगता है
चारों तरफ खाईयां खुदती जा रही हैं
कितनी अदृश्य दीवारें उठती जा रही हैं
एक दूसरे तक जाने के मार्ग
अवरूद्ध होते जा रहे हैं
एक दूसरे के प्रति
एक अजीब सा अविश्वास भाव
भरता जा रहा है।
परिचय के मानक
इतने हो गए हैं कि
मात्र नाम बताने से कोई संतुष्ट नहीं होता।
अगर मात्र नाम बताया तो
पहली बार मिलने वाला
अपरिचित व्यक्ति
आशंका ग्रस्त हो जाता है
खोद-खोदकर अनेक तरीकों से
आपके आगे पीछे का इतिहास पूछकर
जाति -धर्म -जिला-प्रदेश की
समस्त सूचनाएं चाहता है।
शायद आपके प्रति उसे
कैसा व्यवहार करना है
उसके लिए यह जानकारी अनिवार्य है।
कई बार ऐसे लोगों को
अपना परिचय बताने में भी
एक संकोच
एक वितृष्णा होती है।
Read More! Earn More! Learn More!