
सखि पुनः आ गयी होरी
सब गोपियां कल
खिल -खिल
खेलेंगी कान्हा संग होरी
आयेंगी कान्हा के समीप
करेंगीं बहाने से उसे स्पर्श
जहां तहां उसे रंग लगायेंगी,
कुछ लज्जाहीन तो
इस अवसर का
जी भर लाभ उठायेंगी
पकड़ेंगी उसकी कलाई और
उसके गले भी लग जायेंगी
मुझे गोपियों की
ये समीपता श्याम से
तनिक भी नहीं सुहाती
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