
जब परिंदे सांझ ढले पहुंचे अपनी बस्ती, तो वहां उनका घर न था
वो जगह जहां तमाम दरख़्त थे,वहां एक भी शजर न था
जो रात के अंधेरे में मशीनों से काट रहे थे दरख़्त
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जब परिंदे सांझ ढले पहुंचे अपनी बस्ती, तो वहां उनका घर न था
वो जगह जहां तमाम दरख़्त थे,वहां एक भी शजर न था
जो रात के अंधेरे में मशीनों से काट रहे थे दरख़्त