मेघ's image

मैं उड़ते हुए बादलों से

हमेशा नहीं मांगता वृष्टि।


मैं कहता हूं उनसे कि

यदि नहीं बरस सकते हो

तो मत बरसो,

बस थोड़ी देर के लिए ही

जाओ ठहर,

भले ही कुछ पलों के लिए ही सही

दे दो--

धरती के जलते हुए टुकड़े को ,

जलते हुए तरुवरों को,

धूप में नंगे सर चलते हुए

मनुष्यों के सर पर,

थोड़ी सी छाया।


कई बार मेंघों से हमें मात्र

वृष्टि ही नहीं अपितु

छाया भी चाहिए होती है।


कई बार मेघ

हमें

वृष्टि ही नहीं,

छाया भी देते हैं।


मांगने की आकांक्षा

और देने की सामर्थ्य और आकांक्षा पर

निर्भर करता है कि

मांगने वाले ने क्या पाया

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