लौटना वहां
जहां लौटने की कोई संभावना न हो।
पहुंचना वहां
जहां पहुचने की कोई चाह न बची हो ।
पाना उसे ,सहसा
जिसे खोने के बाद,
कभी पाने की कोई आस न बची हो।
कह देना ,सहसा उनसे अचानक,
वो सब कुछ
जिनसे कहने का साहस न बचा हो।
पूरी हों जाएं वो प्रतीक्षाएं ,
जिनके पूरे होने की कोई आशा न बची हो।
बस ऐसी ही
अप्रत्याशित घटनाओं के
घटित होने की आस में
पूरा जीवन बीतता जाता है ।
जो बीता हुआ है लौटकर आयेगा
जो खोया हुआ है मिल जायेगा ।
जो बिखरा हुआ है उसे समेट लेगे
जो बिगड़ा है उसे संवार लेगें ।
जो अस्तव्यस्त है उसे निखार लेगें।
कल के लिये बटोरते हैं,
कल के लिए सहेजते हैं ,
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