
वो देखता है मेरी तरफ़, वो देता है मुझको सदाएं
मुझे ये यकीं किसलिए ,मुझे न जाने ये वहम क्यूं है?
मैंने ख़ुद से वादा किया था उसकी गली में न जाने का
फ़िर आज़ उसके कूचे की तरफ़ बहके हुए मेरे क़दम क्यूं है?
वो संगदिल,वो बेमुरव्वत,जो ज़ख्म पर जख
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