क्या कर पाया's image

इस आभासी छाया नगरी में

एक भी कल्पित संबंध निभा नहीं पाया ।

जाने किस किस को ठेस लगाई

किस किस को दुख पहुंचाया।

क्या पढ़ा, क्या लिखा, क्या देखा

क्या समझा, क्या समझाया।

कितने स्वप्न तोड़े अपने

कितने टूटे स्वप्न औरों के भला जोड़ पाया।

कितनी आस बांधी, कितनी आस तोड़ी

किसी और को कब कोई आस बंधा पाया।

कितने अर्थहीन गीत स्वयं रचे

कितने मधुर गीत औरों से सुने

कौन सा गीत बेसुरे स्वरो में

अपनी ही धुन में गाया।

Read More! Earn More! Learn More!