
जब -जब मैं
कुछ लिखने के लिए
शब्दों के पास आता हूं
कुछ और ही हो जाता हूं
जो मैं नहीं हूं पर
जो होना चाहता हूं
या जो मैं कल्पना करता हूं
जो स्थितियां
जिन्हें मैं चाहता हूं बदलना
या चाहता हूं मैं कि बदलें
कई बार ऐसा होता है कि
मैं कह
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